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पी.एम. दक्ष योजना

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पीएम दक्ष

अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व सफाई कार्यकर्ताओं, ट्रांसजेंडर और ऐसी अन्य श्रेणियों के सीमांत वर्गों के कौशल विकास के लिए कार्य योजना

1.         पृष्ठभूमिः

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, वरिष्ठ नागरिकों, शराब और मादक द्रव्यों के सेवन के शिकारट्रांसजेंडर व्यक्तियों, गैर-अधिसूचित जनजातियों, ईबीसी, सफाई कर्मचारी, कचरा बीनने वाले और मैनुअल स्कैवेंजर्स सहित समाज के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्गों के सशक्तिकरण के लिए काम करता है।  लक्ष्य समूह के अधिकांश व्यक्तियों के पास न्यूनतम आर्थिक संपत्ति हैइसलिएइन हाशिए पर रहने वाले लक्षित समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण / उत्थान के लिए प्रशिक्षण का प्रावधान और उनकी दक्षताओं को बढ़ाना आवश्यक है।

 

लक्षित समूह के बहुत से व्यक्ति ग्रामीण दस्तकारों की श्रेणी से संबंधित हैं जो बाजार में बेहतर तकनीक के आने के कारण हाशिए पर चले गए हैं।  लक्षित समूह में महिलाओं को सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है, जो अपनी समग्र घरेलू मजबूरियों के कारणवेज रोजगार में शामिल नहीं हो सकते हैं, जिसमें आमतौर पर लंबे समय तक काम करना और कभी-कभी दूसरे शहरों में प्रवास शामिल होता है।  इसी तरह की चुनौतियों का सामना स्वच्छता श्रमिकों और कचरा बीनने वाले समुदायों के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिन्हें मुख्यधारा के वैकल्पिक व्यवसायों में शामिल होना कठिन लगता है और इसलिए उन्हें स्व-रोजगार कार्यकलापो से जुड़ना होता  है।

 

इसी प्रकार से, लक्षित समूह के युवाओं को  उनके शैक्षिक पिछड़ेपन के कारण  अल्पकालिक कौशल पाठ्यक्रमों के पूरा करने के बाद भी अच्छे मुआवजे के साथ रोजगार प्राप्त करना मुश्किल होता है। दूसरी ओर, यह देखा गया है कि बेहतर बाजार संभावनाओं के साथ आई.टी.आई. द्वारा संचालित किए जा रहे दीर्घकालिक व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में एस.सी. और ओ.बी.सी. श्रेणियों के अंतर्गत बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं।

 

उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, नियमित कौशल से परे जाने और इसके बजाय अपनी योग्यता के स्तर को बढ़ाने की अति आवश्यकता है, ताकि दस्तकार अपने व्यवसायिक कार्यों में अपनी आमदनी की सृजन क्षमता में सुधार कर सकेंमहिलाएं अपने घरेलू कार्यों की उपेक्षा किए बिना स्व-रोजगार में प्रवेश कर सकती हैं, जिससे बिना वित्तीय रूप से स्वयं को सशक्त बनाया जा सके एवं युवा रोजगार योग्य व्यवसायों में दीर्घकालिक प्रशिक्षण और विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें नौकरी के बाजार में बेहतर अवसर मिल सकते हैं। उन्हें या तो नौकरियों के लिए बेहतर बाजार के साथ आई.टी.आई. पाठ्यक्रमों सहित दीर्घकालिक कार्यक्रमों को करना होगा या वैकल्पिक रूप से कुछ उद्यमशीलता विकास प्रशिक्षण प्रदान करना होगा, यह  उन्हें कुछ वित्तीयन प्रदान करने और अपने स्वयं के छोटे उद्यम शुरू करने में सक्षम बनाता है।

 

उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, ई.बीसी., डी.एन.टी., कचरा बीनने वालों, हाथ से मैला ढोने वाले, ट्रांसजेंडर और इसी तरह के हाशिए पर रहने वाले व्यक्तियों के लिए अन्य श्रेणियों सहित स्वच्छता कार्यकर्ताओं के एक राष्ट्रीय कार्य योजना-  'प्रधान मंत्री दक्षता और कुशल संपूर्ण हितग्राही' (दक्ष) योजना प्रस्तावित है। अगले चार वर्षों में इन श्रेणियों के 10 लाख व्यक्तियों की सर्वांगीण योग्यता और निपुणता में सुधार के लिए एक बहु-आयामी रणनीति के साथ, पहले वर्ष अर्थात् 2020-21 में लगभग 1.5 लाख युवाओं के साथ शुरुआत की गई।

 

2.         कौशल कार्यक्रमों का वर्गीकरण

 सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय मोटे तौर पर वर्ष 2020-21 से 2023-24 की अवधि में अपने लक्षित समूह के व्यक्तियों को निम्नलिखित उप-श्रेणियों में प्रशिक्षित करने की इच्छा रखता है:

क.        कौशल उन्नयन/पूर्व शिक्षा की मान्यता (आर.पी.एल.):

 i)         लक्षित वर्ग:

एस.सी./ओ.बी.सी./ई.बी.सी./डी.एन.टी. श्रेणियों से संबंधित सीमांत ग्रामीण दस्तकारों और ऐसे अन्य उद्यमियों के अतिरिक्त स्वच्छता कार्यकर्ता, कचरा बीनने वाले और उनके आश्रित जो पिरामिड के निचले भाग में होते हैं।

ii)         पाठ्यक्रमः 

प्रशिक्षण मूल स्थान पर होगा, और प्रशिक्षक दस्तकारों से उनके कार्यस्थलों पर संपर्क करेंगे। मिट्टी के बर्तन, बुनाई, मिट्टी और बांस, धातु का काम, बढ़ईगीरी, अपशिष्ट पृथक्करण, घरेलू कामगारों के साथ-साथ वित्तीय और डिजिटल साक्षरता आदि जैसे अभ्यास के व्यवसाय। प्रशिक्षक को एक मास्टर शिल्पकार या डिजाइनर या उस पेशे से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ व्यक्ति होना चाहिए। प्रशिक्षण में उपकरणों, डिजाइनों और प्रक्रियाओं में सुधार करना सम्मिलित होगा ताकि व्यवसाय से आय दोगुनी हो जाए।

 विशेष रूप से कचरा बीनने वालों और हाथ से मैला ढोने वालों सहित स्वच्छता कार्यकर्ताओं के संबंध में पाठ्यक्रम में सुरक्षित और स्वस्थ स्वच्छता प्रथाएं सम्मिलित होंगी एवं कचरा बीनने वालों के लिए आर.पी.एल. कार्यक्रम शामिल होंगे, जिसके लिए एन.एस.के.एफ.डी.सी. और स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स द्वारा क्यू.पी. विकसित किए गए हैं।

प्रमाणीकरण को प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वय के लिए उत्कृष्टता संस्थान की मानक प्रक्रिया के साथ जोड़ा जाएगा।

 iii)       प्रशिक्षण की अवधि: 

प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अवधि 32 से 80 घंटे की होगी और प्रशिक्षुओं के व्यावसायिक घंटों को ध्यान में रखते हुए एक महीने में पूरी जाएगी।

iv)        प्रशिक्षण लागत:

प्रशिक्षण लागत समय-समय पर लागू होने वाले सामान्य लागत मानदंडों (सी.सी.एन.) की सीमा तक सीमित होगी।

v)         अन्य व्यय:

चूंकि, प्रशिक्षु पहले से ही कार्यरत हैं, उन्हें प्रशिक्षण की अवधि के दौरान, अप-स्किलिंग/आर.पी.एल. के प्रशिक्षण की अवधि के लिए, उनके वेतन की क्षति के मुआवजे के रूप में प्रति व्यक्ति रू. 2500/- प्रति कार्यक्रम, स्टाइपेंड के रूप में भुगतान किया जाएगा।

 vi)       प्रशिक्षण के प्रकार का अंश:

एन.एस.एफ.डी.सी. और एन.बी.सी.एफ.डी.सी. द्वारा आयोजित सभी अपस्किलिंग/री-स्किलिंग प्रशिक्षण का 30% और एन.एस.के.एफ.डी.सी. द्वारा आयोजित प्रशिक्षण का 50% सम्मिलित होगा।

ख.        संक्षिप्त अवधि के पाठ्यक्रम ( स्व-रोजगार पर केंद्रित):

 i)         लक्षित वर्गः

अनुसूचित जाति / अन्य पिछड़ा वर्ग / ई.बी.सी. / डी.एन.टी. और स्वच्छता कार्यकर्ता / हाथ से मैला ढोने वाले / कचरा बीनने वालों (आश्रितों सहित) श्रेणियों से संबंधित अधिकांश अशक्त समूह जो निरक्षर / अर्ध-निरक्षर और बेरोजगार हैं। सहायता प्रदान करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ महिलाओं, ट्रांसजेंडर और भिखारी समुदायों के सदस्यों आदि पर विशेष ध्यान - प्रशिक्षण और स्वरोजगार उद्यम शुरू करने के लिए।

ii)         पाठ्यक्रम:

प्रशिक्षण कार्यक्रमों का पाठ्यक्रम राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एन.एस.क्यू.एफ.)/राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एन.ओ.एस.) के अनुसार होगा, जो कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी रोजगार के विभिन्न  जॉब-रोल जिसमें स्व-रोजगार के अवसरों जैसे- स्व-रोजगार टेलर प्रशिक्षण, फर्नीचर बनाना, खाद्य प्रसंस्करण, कालीन बुनाई, ब्यूटीशियन कार्यकर्ता, चमड़े का काम, लेटेक्स हार्वेस्टिंग, वित्तीय एवं डिजिटल साक्षरता के साथ टायर फिटिंग आदि  पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।  प्रदान किए गए प्रत्येक कौशल में उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ई.डी.पी.) एक घटक होगा।

iii)        प्रशिक्षण अवधि: 

राष्ट्रीय व्यावसायिक मानकों (एन.ओ.एस.) एवं योग्यता पैक (क्यू.पी.) में निर्धारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अवधि सामान्य रूप से 200 घंटे से 600 घंटे एवं 5 माह तक होगी। स्व-रोजगार उद्यम शुरू करने में सहायता प्राप्ति हेतु बैंकों के साथ संबद्धता एक घटक होगा।

iv)        प्रशिक्षण लागत:

            प्रशिक्षण लागत समय-समय पर लागू और संशोधित सामान्य लागत मानदंडों के अनुसार होगी।

v)         अन्य व्ययः

i)          गैर-आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए, प्रशिक्षुओं को स्टाइपेंड (परिवहन शुल्क का मुआवजा), अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए रू. 1500/- प्रति माह, ओ.बी.सी./ई.बी.सी./डी.एन.टी.को रू.1000/- प्रति माह और स्वच्छता कर्मियों (कूड़ा उठाने वालों सहित) और उनके आश्रितों को रू. 1500/- प्रतिमाह का भुगतान किया जाएगा।

 ii.        आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए, जहां आवश्यक हो, प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पूरी अवधि के लिए रहने और खाने की व्यवस्था व सी.सी.एन. के अनुसार खर्च की भरपाई की जाएगी। सफाई कर्मचारियों के मामले को छोड़कर कोई भी स्टाइपेंड अलग से देय नहीं होगा; कचरा बीनने वालों और उनके आश्रितों को रू. 500/- प्रति माह का भुगतान किया जाएगा।

iii.        मैला ढोने वालों और उनके आश्रितों के मामले में, रू. 3000/- प्रति माह (एम.एस. अधिनियम, 2013 के अनुपालन में) गैर-आवासीय और आवासीय प्रशिक्षण दोनों के लिए स्टाइपेंड के रूप में भुगतान किया जाएगा।

iv.        संवेदनशील लक्षित समूहों जैसे कि ट्रांसजेंडर, भिखारी, मादक द्रव्यों के सेवन के शिकार आदि के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रशिक्षण प्रदाताओं को मोबलाइजेशन, हैंड होल्डिंग, पोस्ट प्लेसमेंट समर्थन, टूलकिट प्रदान करने और अन्य उपायों लिए अतिरिक्त सुविधा की आवश्यकता होगी। उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, इन संवेदनशील लक्ष्य समूहों के लिए कार्यक्रम के मामले में निम्नलिखित स्वीकार्य हो सकते हैं:

            जलपान, परिवहन और परामर्श इत्यादि के लिए सहायता प्रदान करना – रू. 1000/- प्रति माह की दर से.

          टूल किट रू. 5000/- प्रति प्रशिक्षार्थी

          मोबलाइजेशन एवं रोक के रखना (हैण्डहोल्डिंग)- रू. 500/- प्रति प्रशिक्षार्थी.

          एन.बी.सी.एफ.डी.सी. की एस.डी.टी.पी. योजना में पहले से ही निर्धारित गैर-आवासीय प्रशिक्षण के लिए 70% समग्र उपस्थिति के अधीन स्टाइपेंड राशि रू. 1000/- प्रतिमाह.

v)         प्रशिक्षण के प्रकार का अंश:

अल्पावधि प्रशिक्षण में एन.एस.एफ.डी.सी. और एन.बी.सी.एफ.डी.सी. द्वारा आयोजित सभी प्रशिक्षण का 20% और एन.एस.के.एफ.डी.सी. द्वारा आयोजित प्रशिक्षण का 40% शामिल होगा।

 

ग.    उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ई.डी.पी.):

 लक्षित वर्गः

अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के युवा जिन्होंने पीएमकेवीवाई के तहत अधिमानतः कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया है और एक उद्यमशीलता की सोच रखते हैं।

 पाठ्यक्रम:

प्रशिक्षण कार्यक्रम का पाठ्यक्रम अनिवार्य रूप से ग्रामीण विकास मंत्रालय के आर.एस.ई.टी.आई. द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे कार्यक्रमों पर आधारित होगा। प्रशिक्षण में प्रभावी संचार कौशल, जोखिम लेने का व्यवहार, व्यवसाय के अवसर पर मार्गदर्शन, बाजार सर्वेक्षण, व्यवस्थित योजनाबैंकिंग जैसे- जमा, अग्रिम और उधार, लागत और मूल्य निर्धारण, समय प्रबंधन, कार्यशील पूंजी और इसका प्रबंधन, व्यवसाय योजना तैयार करना आदि पर सत्र शामिल होंगे। .

 प्रशिक्षण अवधि: 

            प्रशिक्षण की अवधि सामान्य रूप से 80 घंटे (10 दिन) या ग्रामीण मंत्रालय द्वारा निर्धारित, के अनुसार होगी।

प्रशिक्षण लागत:

ग्रामीण मंत्रालय के मानदंडों के अनुसार प्रशिक्षण लागत की प्रतिपूर्ति की जाएगी जो मोटे तौर पर सामान्य लागत मानदंडों के अनुसार तैयार की जाती है।

अन्य व्ययः

i)          भुगतान सामान्य लागत मानदंड / ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों या अन्य प्रासंगिक सरकारी दस्तावेजों के अनुसार किया जाएगा, जैसा कि प्रचलित है।                                                                                                                                            

ii)         मूल्यांकन और प्रमाणन निकाय को रू. 1500/- प्रति उम्मीदवार का मूल्यांकन और प्रमाणन शुल्क देय होगा।

प्रशिक्षण के प्रकार का अंश:

            EDP में NSFDC और NBCFDC के सभी प्रशिक्षण का 30% शामिल होगा।

 D.        लंबी अवधि के प्रशिक्षण (वैश्विक स्तर के कौशल के लिए) :

 a.        लक्षित वर्गः

अनुसूचित जाति, गरीब ओ.बी.सी., ई.बी.सी., डी.एन.टी. युवा और स्वच्छता कार्यकर्ता / हाथ से मैला ढोने वाले / कचरा बीनने वाले (उनके आश्रितों सहित), ट्रांसजेंडर आदि जो 10वीं कक्षा या उससे अधिक तक शिक्षित हैं और नौकरी बाजार में अच्छी मांग वाले क्षेत्रों में नियोजित होने की आकांक्षा रखते हैं। विदेश में नियोजनों के अवसरों के साथ कम से कम रू. 20,000/-  एवं उससे अधिक का पारिश्रमिक।

b.         पाठ्यक्रम: 

प्रशिक्षण कार्यक्रमों का पाठ्यक्रम एन.एस.क्यू.एफ., एन.सी.वी.टी., ए.आई.सी.टी.ई., एम.एस.एम.ई. और अन्य प्रतिष्ठित प्रमाणन कार्यक्रमों के अनुसार होगा, जिसमें उत्पादन तकनीक, प्लास्टिक प्रसंस्करण, परिधान प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र, पर्यटन, विमानन जैसे क्षेत्रों में राज्य सरकार की संस्थाओं द्वारा संचालित कार्यक्रम जैसे- नर्सरी शिक्षक प्रशिक्षण आदि सम्मिलित हैं। प्रदान किए गए प्रमाणन को संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रक्रियाओं के साथ जोड़ा जाएगा।

(c)       प्रशिक्षण अवधि: 

प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अवधि छह महीने और उससे अधिक और आमतौर पर 1 वर्ष तक होगी, जैसा कि प्रशिक्षण केंद्र के संबंधित बोर्ड/नियामक निकाय द्वारा निर्धारित किया गया हो।

(d)       प्रशिक्षण लागत:

प्रशिक्षण लागत एन.एस.क्यू.एफ. नौकरी भूमिकाओं के लिए सामान्य लागत मानदंडों के अनुसार या संबंधित बोर्ड द्वारा निर्धारित और समय-समय पर संशोधित, के अनुसार होगी।

 

 (e)       अन्य व्यय:

i.          गैर-आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए, प्रशिक्षुओं को स्टाइपेंड (परिवहन शुल्क के रूप में), अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए रू. 1500/- प्रति माह, ओ.बी.सी./ई.बी.सी./डी.एन.टी.को रू.1000/- प्रति माह और स्वच्छता कर्मियों (कूड़ा उठाने वालों सहित) और उनके आश्रितों को रू. 1500/- प्रतिमाह का भुगतान किया जाएगा।

ii.         आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए, जहां आवश्यक हो, प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पूरी अवधि के लिए रहने और खाने की व्यवस्था व सी.सी.एन. के अनुसार खर्च की भरपाई की जाएगी। सफाई कर्मचारियों के मामले को छोड़कर किसी को भी स्टाइपेंड अलग से देय नहीं होगा; कचरा बीनने वालों और उनके आश्रितों को रू. 500/- प्रति माह का भुगतान किया जाएगा।

iii.        मैला ढोने वालों और उनके आश्रितों के मामले में रू. 3000/- प्रति माह (एम.एस. अधिनियम, 2013 के अनुपालन में) गैर-आवासीय और आवासीय प्रशिक्षण दोनों के लिए स्टाइपेंड के रूप में भुगतान किया जाएगा।

(f)       प्रशिक्षण के प्रकार का अंशः

            लंबी अवधि के प्रशिक्षण में NSFDC और NBCFDC के सभी प्रशिक्षण का 20% और NSKFDC के सभी प्रशिक्षण का 10% शामिल होगा।

उपरोक्त चार कार्यक्रम तीन शीर्ष निगमों राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (NSFDC), राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (NBCFDC) और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से कार्यान्वित किए जाएंगे, जिनके माध्यम से अनुमानतः 4.25 लाख व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। अगले चार वर्ष, जिसमें वर्ष 2020-21 में 92,000 सम्मिलित होंगे।

3.         कार्यान्वयन की पद्धति

1.         आरंभिक आबंटन

ओ.बी.सी./ई.बी.सी./डी.एन.टी. के प्रशिक्षण के मामले में राज्य की एससी आबादी (एससी उम्मीदवारों के लिए) और राज्य की समग्र आबादी के आधार पर, कचरा बीनने वालों और अन्य श्रेणियों सहित स्वच्छता कार्यकर्ताओं के आधार पर वर्ष 2020-21 में एक आरंभिक आवंटन किया गया है।  यह आवंटन उपरोक्त 2 (ए) से (डी) में तीन निगमों के लिए निर्धारित विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण के प्रकार और न्यूनतम बैच आकार की आवश्यकता को भी ध्यान में रखता है।

2.         प्रशिक्षण सहभागी

•          निगम स्टेट स्किल डेवलपमेंट मिशन (एस.एस.डी.एम.) पर व्यापक रूप से निर्भर करेगा, जिनसे आशा की जाती है कि उन्हें अपने राज्य में कौशल आकांक्षाओं और रोजगार के अवसरों के बारे में जमीनी स्तर का ज्ञान होगा और साथ ही एन.एस.डी.सी. द्वारा किए गए कौशल अंतर विश्लेषण पर साहित्य तक पहुंच होगी।

•          उपरोक्त के अतिरिक्त, निगम ने पिछले पांच वर्षों में कुछ विश्वसनीय प्रशिक्षण संस्थानों (ज्यादातर सरकारी या महत्वपूर्ण सरकारी होल्डिंग) के साथ-साथ सेक्टर स्किल काउंसिल (एम.एस.डी.ई. के तत्वावधान में गठित) और कॉर्पोरेट उत्कृष्टता के कुछ फाउंडेशन/ट्रस्ट की पहचान की है, जिन्होंने प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने और प्रशिक्षित उम्मीदवारों को नियोजित का एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड।

3.         कार्यक्रमों का आबंटन

क.    2 (ए), 2 (बी) और 2 (डी) के लिए रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) एस.एस.डी.एम. और पहचान की गई एजेंसियों से प्रस्तावों के लिए मंगाई जाएगी।

ख. जबकि एस.एस.डी.एम. से राज्य में आकांक्षाओं और रोजगार के अवसरों के अनुरूप प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है, अन्य परिषदों/संस्थानों द्वारा राज्य के उपयुक्त प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं करने की संभावना को समाप्त करने के लिए, उन्हें संबंधित जिला कौशल प्राधिकरण द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित प्रस्तावों के लिए कहा जाएगा या एस.एस.डी.एम. अधिकृत अधिकारी यह पुष्टि करते हुए कि वेतन/स्वरोजगार के प्रस्ताव जिले/राज्य के लिए प्रासंगिक हैं।

एन.एस.के.एफ.डी.सी. के मामले में, प्रशिक्षण एजेंसी को नगर पालिकाओं, छावनी बोर्डों, ग्राम पंचायत, रेलवे और सरकारी अस्पतालों आदि द्वारा विधिवत रूप से पृष्ठांकित प्रस्ताव प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी, जिसमें लक्षित समूह की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता की पुष्टि की जाएगी, जिन्हें प्रस्तावित व्यवसाय में प्रशिक्षण दिया जा सकता है।

 

ग.          प्रस्तावों की प्राप्ति और जांच के बाद, संबंधित निगम कार्यक्रम को लागू करने हेतु एजेंसी के कार्यक्रम के क्रियान्वयन, ऑफर पर जॉब रोल्स में रोजगारपरकता का मूल्यांक आदि पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए आवेदकों को नंबर आवंटित करेगा।   विशेष रूप से एन.एस.के.एफ.डी.सी. के मामले में मैनुअल स्कैवेंजर्स (एम.एस.) के प्रशिक्षण के लिए वरीयता दी जाएगी। यदि आवश्यक हो, तो आवेदकों को बातचीत के लिए और संशोधित प्रस्तावों को फिर से जमा करने के लिए भी बुलाया जाएगा।

घ.    एक राज्य से अपर्याप्त प्रस्तावों के मामले में, संख्या को अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले अन्य राज्यों में जहां से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, स्थानांतरित किया जा सकता है।

 ड़.          विशेष रूप से 2 (ग) अर्थात् ई.डी.पी. के संबंध में, एन.ए.सी.ई.आर., राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र आर.एस.ई.टी.आई. के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं जो ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में ई.डी.पी. कार्यक्रमों को चलाने और प्राथमिक रूप से ग्रामीण युवाओं के लिए बैंक लिंकेज बनाने के लिए हैं, जो निगमों के लक्षित समूह से संबंधित हैं। इसके साथ ही, ई.डी.पी. आयोजित करने वाले अन्य प्रतिष्ठित सरकारी एजेंसियों /सरकार द्वारा प्रोन्नत एजेंसियों को भी इससे आपसी विचार-विमर्श व आम सहमति से जोड़ा जाएगा।

4.         कार्यक्रमों का क्रियान्वयन

•          प्रशिक्षण एजेंसियों द्वारा प्रचार के विभिन्न माध्यमों से उम्मीदवारों को एकत्र किया जाएगा।

•          उम्मीदवारों के चयन के लिए चयन समिति की बैठकें आयोजित की जाएंगी जिनमें निजी प्रशिक्षण सहभागियों के मामले में केंद्र/राज्य सरकार एवं उनके उपक्रम अथवा पी.एस.बी./आर.आर.बी.  के एक पदाधिकारी को अनिवार्य रूप से शामिल करना होगा।

प्रशिक्षण पाठ्यक्रम एन.एस.क्यू.एफ./ए.आई.सी.टी.ई./एन.सी.वी.टी. आदि दिशा-निर्देशों के अनुरूप होंगे।

प्रशिक्षण सामान्य मानदंडों, एन.सी.वी.टी. आदि दिशा-निर्देशों के अनुसार आयोजित किया जाएगा।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल समापन के बाद उम्मीदवारों का तृतीय पक्ष मूल्यांकन व प्रमाणन किया जाएगा।

प्रशिक्षित उम्मीदवारों को वेतन/स्व-रोजगार में नियुक्ति के लिए सुविधा प्रदान की जाएगी।

4.         परिणाम

योग्यता वृद्धि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लक्षित परिणाम निम्नानुसार होंगे:

 (4.1)    अप-स्किलिंग प्रोग्राम: जैसा कि लाभार्थियों द्वारा स्वप्रमाणित किया गया है, आजीविका की आय में वृद्धि।

(4.2)    अल्पावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम: वेतन/स्व-रोजगार में प्रशिक्षित व्यक्तियों का समग्र नियोजन 70% होना चाहिए।

 (4.3)                उद्यमिता विकास कार्यक्रम: ई.डी.पी. प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, कम से कम 70% उम्मीदवारों को अपनी आजीविका कमाने के लिए स्वरोजगार और/या वेतन रोजगार में नियोजित होना चाहिए।

 (4.4)   दीर्घावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम: प्रशिक्षित व्यक्तियों का समग्र नियोजन वेतन रोजगार/स्व-रोजगार में 70% तक होना चाहिए, जिसमें कम से कम 70% नियोजित लोग वेतन-रोजगार में हों।

5.         निगरानी

       प्रशिक्षण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी निम्नानुसार की जाएगी:

शीर्ष निगम सीधे सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की निगरानी करेंगे। इसमें चयन समिति की बैठकों में सीधे या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से भागीदारी, प्रशिक्षुओं के विवरण वाली चयन समिति की बैठक के कार्यवृत्तों की समीक्षा, प्रशिक्षण कार्यक्रमों की ई-आधारित और प्रत्यक्ष निगरानी, नामित पोर्टल में प्रशिक्षित लाभार्थियों के विवरण का समेकन आदि सम्मिलित होंगे।

 6.        व्यावसायिक शिक्षा की आई.टी.आई. प्रणाली के साथ समरूपता

तत्कालीन श्रम मंत्रालय के तहत और वर्तमान में एम.एस.डी.ई. के तहत स्थापित आई.टी.आई. में प्रशिक्षण की एक जीवंत प्रणाली मौजूद है। ये आई.टी.आई. अच्छे रोजगार के साथ व्यावसायिक चयनात्मक दीर्घकालिक पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। तथापि; इन आई.टी.आई. की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जा रहा है, विशेष रूप से अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटों के संबंध में, जिसमें सफाई कर्मचारी, हाथ से मैला ढोने वाले और उनके आश्रित शामिल हैं।

अतः मंत्रालय इन लक्षित समूहों से संबंधित छः लाख व्यक्तियों के लिए उद्योग से जुड़े आई.टी.आई. में लंबी अवधि के पाठ्यक्रमों की सुविधा के लिए एक प्रोत्साहन प्रणाली स्थापित करेगा, जिसमें रोजगार की अच्छी संभावना है। इसके लिए मंत्रालय एम.एस.डी.ई./डी.जी.ई.टी. के साथ संबंध स्थापित करेगा और आई.टी.आई. को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रणाली तैयार करेगा जिससे गरीब अनुसूचित जाति और सफाई कर्मचारियों के आश्रितों, जिनमें कचरा बीनने वाले और हाथ से मैला ढोने वाले शामिल हैं, को इकठ्ठा किया जा सके तथा प्रशिक्षण के दौरान उन्हें सलाह दी जा सके।  इस तरह से, प्रथम वर्ष 2020-21 में 50,000 से शुरू होकर अगले 4 वर्षों में आई.टी.आई. प्रणाली के भीतर उपलब्ध आरक्षित रिक्तियों को भरकर कुल 6,00,000 युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।

आरंभ में समूहों को प्रोत्साहन देने के लिए रू. 6000/- प्रति प्रशिक्षु का प्रावधान किया जा रहा है और तदनुसार इस कार्य के लिए रू. 30.00 करोड़ का बजट है।

(a)         लक्षित वर्ग

अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के साथ-साथ कचरा बीनने वालों और हाथ से मैला ढोने वालों सहित स्वच्छता कर्मचारियों के ऐसे आश्रित जो न्यूनतम 10वीं कक्षा पास  हैं, एक उपयुक्त प्रक्रिया द्वारा   चयन किया गया।

(b)         पाठ्यक्रम:

प्रशिक्षण कार्यक्रमों का पाठ्यक्रम विभिन्न ट्रेडों में एन.सी.वी.टी. के अनुसार आई.टी.आई. के मूल्यांकन के अनुसार अच्छी रोजगार क्षमता वाले विभिन्न ट्रेडों में होगा।

(c)       प्रशिक्षण अवधि: 

प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अवधि एम.एस.डी.ई./डी.जी.टी. के मानदंडों के अनुसार होगी।

(d)       प्रशिक्षण प्रोत्साहन:

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय व कौशल विकास उद्यमिता मंत्रालय द्वारा पारस्परिक रूप से सहमत किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए प्रति प्रशिक्षु रू. 6000/- तक का प्रशिक्षण प्रोत्साहन।

(e)     प्रशिक्षण व्यय का भुगतान:

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय पारस्परिक रूप से सहमत प्रक्रिया के आधार पर सीधे कौशल विकास उद्यमिता मंत्रालय /संबद्ध एजेंसियों को लक्ष्य समूह को जुटाने/सलाह देने और/ या प्रशिक्षण के लिए धनराशि जारी करेगा। समितियों का विवरण

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